आखिर हम भी कुछ हैं।
बस, यह सोच ही इस पोर्टल की जननी बन गयी।
लेकिन इस सोच के पीछे कई सवाल थे जिनके जवाब के लिए बातचीत का एक ऐसा सशक्त मंच जरूरी था, जहां लोगों को बुलाया जाए। मसलन, आखिर मां के पेट में हमारी मौजूदगी का पता चलते ही हमें टुकडे-टुकडे कर देने की मनोवृत्ति, और इसके लिए हमारी मां तक की सेहत को नजरंदाज कर दिया जाना क्या एक बडा सवाल नहीं है? खासकर उस समाज से जो महिलाओं को देवी के तौर पर तो पूजता है, चरणों पर गिरता है और कई-कई दिनों का उपवास तक कर लेता है, लेकिन दैवीय महिला से अलग उसमें जमीनी महिला में फौरन भेदभाव आ जाता है। उसे पैदा करने के लिए मां चाहिए, दुलराने के लिए दादी, चाची, मौसी, बुआ और राखी बंधवाने के लिए बहन के साथ ही अपनी संतान पैदा करने के लिए एक अदद औरत चाहिए। मगर उसी समाज के ज्यादातर लोग अपनी बीवी की कोख में हमारी मौजूदगी तक से सहम जाते हैं। यह जानते हुए भी कि एक महिला को अन्नपूर्णा का ओहदा देकर उसे घर भर को भोजन कराने के बाद कुछ भी ना बच पाने के चलते अक्सर भूखे रह जाने पर मजबूर हो जाना पडता है।
सारी बंदिशें हम पर ही क्यों? घर की मामूली चीजों की खरीद को छोड दें तो जमीन-जायदाद या लेन-देन के मामलों में बातचीत तक की जरूरत ही नहीं समझी जाती। चाहे वह शाहबानो का मामला हो या आनर-किलिंग का, दण्ड केवल हमको ही क्यों दिया जाता है? क्यों हमको बराबरी का दर्जा नहीं मिलता?
हम किसी को कठघरे में खडा नहीं करना चाहते, मगर इस सवाल का जवाब तो चाहते ही हैं कि आखिर हमारे साथ यह भेदभाव कब तक चलेगा। क्या यह सच नहीं है कि हम पर लगायी जाने वाली सारी बंदिशें मर्दों की नाक बचाये रखने के लिए मूंछों की तरह हमें ही मरोडे-कुतरे जाने के तौर पर साफ दिखायी पडती है?
इससे भी अलग एक बात और, मेरी बिटिया डॉट काम के जरिये हम पुरूषों से आगे निकलने की बात या ख्वाहिश नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम बराबरी का दर्जा दिलाने की वकालत कर रहे हैं। इस पोर्टल को हम केवल महिलाओं तक ही नहीं, बल्कि पुरूषों तक भी पहुंचाना चाहते हैं। आखिर वे हमारी ही तरह पारिवारिक रथ का दूसरा पहिया भी तो हैं। उन्हें इग्नोर नहीं किया जा सकता और हम ऐसा सोच भी नहीं सकते। यह भी एक वजह है कि सारी गलती केवल मर्दों की ही नहीं होती, महिलाएं भी कई बार अपराधी दिखायी पडती हैं। तो आइये, हम जीवन के हर उस पहलू पर चर्चा शुरू कर दें, जो हमारे खून तक में रची-बसी है। विषय कोई भी हो सकता है। सारे कालम बने हैं। कन्या भ्रूण हत्या के विरोध से लेकर बहन, बेटी, भौजाई-नन्द और अपने पूर्वज जैसे दादी-सास तक पर बात की जा सकती हैं। आइये, संस्कृति पर चर्चा करें या फिर अपने भाई-पिता, दोस्त-पति पर। कहानियां लिखिये, कविता की पंक्तियां पिरोइये। जो जी में आये, कीजिए, भले ही वह चुटकुला क्यों ना हो। हास्य-व्यंग्य या निबंध के साथ ही आप कोई बहस भी छेड सकती हैं।
और हां, आपके आसपास कोई खास घटना घटी हो, मसलन किसी महिला ने सफलता के नये आयाम बनाये हों, किसी महिला के साथ कोई घटना घटी हो जो उस इलाके को स्तब्ध कर दे, महिलाओं का कहीं कोई बडा समारोह हो, कहीं लुप्तप्राय गीतों का कोई कार्यक्रम हो, किसी पिता, भाई, पति या किसी महिला ने किसी महिला को आगे बढने का मार्ग-प्रशस्त किया हो या उसे रसातल तक पहुंचा दिया हो तो हमें तत्काल सूचित कीजिएगा।
अपनी सारी कृतियां और सूचनाएं हमें ईमेल पर भेजें। हमारा पता है
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आप चाहें तो हमसे फोन पर भी सम्पर्क कर सकते हैं। नम्बर है- 09453487772 और 9453029126

written by SHATRUGHAN KUMAR GUPTA, October 29, 2016
Meri Bitiya Jaise website & meri bitiya Jaise Bitiya Par Mujhko proud hai...
shatrughan Gupta
Rimjhim Stainless ltd. Kanpur
written by RAJEEV MOHAN, September 20, 2016
written by RAJEEV MOHAN, September 19, 2016
written by Shatrughan Kumar Gupta Kanpur Ex Media Employee, September 16, 2016
Shatrughan Kumar Gupta
Kanpur
written by रमेश राजदार , March 20, 2016
written by Rajeev Anand, August 24, 2013
written by rishikumarshastri singer, August 05, 2013
written by Bharat sen, July 13, 2013
माननी शिवराज सिंह चौहान,
मुख्यमंत्री
मप्र शासन भोपाल
विषय: न्यायालयीन पत्रकारिता तथा विधिक पत्रकारिता को प्रोत्साहन दिए जाने बाबत्।
महोदयजी,
प्रदेश में सबसे लोकप्रिय जनकल्याणकारी मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चौहानजी, आज विकास के पर्याय बन चुके हैं। आपके विचार और विकास अंतिम व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने का रहा हैं। आपकी कार्यशैली को देखते हुए तथा ज्यादा सफलता दिलाने के लिए आपको एक सुझाव दे रहा हूं जिस पर आप अमल करेंगे तो दूसरे राज्यों के लिए भी एक अनुकरणीय उदाहरण होगा।
मध्य प्रदेश राज्य में अपराध को नियंत्रित करने के लिए कानून और व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित रखने के लिए महिलाओं की दशा सुधारने के लिए आर्थिक अपराध को समाप्त करने के लिए, नक्सलवाद जैसी गंभीर समस्या से निपटने के लिए तथा कानून एवं न्याय का शासन स्थापित करने के लिए राज्य सरकार को चाहिए वह न्यायालयीन पत्रकारिता तथा विधिक पत्रकारिता को बढ़ावा दें। जिला स्तर पर कार्यरत् विधि एवं पत्रकारिता के विषय में डिग्रीधारी पत्रकारों को प्रोत्साहन प्रदान करें।
इसकी शुरूआत पुलिस विभाग से की जा सकती हैं। पुलिस विभाग में मिडिया अधिकारी का पद संविदा के आधार पर विधि स्नातक एवं पत्रकारिता में स्नातक पत्रकारों को नियुक्त राज्य शासन कर सकती हैं। विधिक पत्रकार जिसे न्यायालयीन कार्य का 10 वर्षो का अनुभव हो, इस पद के लिए सबसे योग्य व्यक्ति होगा जो कि न्यायालय के फैसलो पर पुलिस एवं शासन के पक्ष में समाचार लेखन का काम करेंगा। जिला स्तर पर न्यायालय में अपराधिक प्रकरणों में प्रतिदिन फैसले होते रहते हैं। जनता के बीच जब अपराधिक प्रकरणों में दोषसिद्धि के समाचार जायेंगे तो जनता में कानून का भय स्थापित हो जायेंगा तथा विधि का प्रचार प्रसार होगा।
सुप्रिम कोर्ट कहती हैं कि न्याय होना ही नहीं दिखना भी चाहिए। इसके लिए कानून और न्याय का शासन स्थापित करने के लिए विधिक पत्रकारिता आवश्यक हैं। विधिक पत्रकारिता का एक दूसरा लाभ यह भी हैं कि विधिक पत्रकारिता न्यायालय को भी नियंत्रित करती हैं। लेकिन यह अपवाद उस दशा में जब न्यायालय कानून और न्याय के बुनियादी सिद्धांतो के दायरे के बाहर जाकर काम करती हैं।
प्रदेश में विधिक पत्रकारिता केवल अंग्रेजी समाचार पत्रों तक सीमित रहीं हैं। हिन्दी भाषी समाचार पत्रों में विधि स्नातक पत्रकारों की जिला स्तर पर नहीं की जाती हैं। अंग्रजी समाचार पत्र विधिक विषयों, न्यायालयीन विषयों पर विस्तृत समाचार बनाते हैं जबकि हिन्दी भाषी समाचार पत्र केवल सूचनात्मक समाचार तक सीमित रहते हैं। हिन्दी भाषी समाचार पत्र न्यायालय के फैसलो पर सूचनात्मक समाचार बनाते हैं जिसका दुष्परिणाम यह होता हैं कि जनता को विधि एवं तथ्यों तथा कानून और न्याय के सिद्धांतों की जानकारी नहीं मिल पाती हैं। जनता को यह जानकारी मिले कि अगर किसी आरोपी को सजा मिलती हैं तो क्यों और अपराधी बच निकलता हैं तो क्यों? इसका बड़ा ही सकारात्मक परिणाम मिलेगा। अपराध के विरूद्ध जनता में जागृति केवल विधिक पत्रकारिता से ही लाई जा सकती हैं। समाचर पत्रों में विधिक पत्रकार होंगे तो शासन का जनता को विधिक विषयों पर साक्षर करने का अभियान कम समय व व्यय पर पूरा होते चला जायेंगा। राज्य शासन का जनसंपर्क विभाग विधिक पत्रकारों की नियुक्ति जिला स्तर पर करने के लिए समाचार पत्रों को विज्ञापन की अनिवार्यता की आड़ में बाध्य कर सकता हैं।
भारत के संविधान की प्रस्तावना में भारत की जनता मालिक हैं और न्यायाधीश एक लोक सेवक हैं।न्यायालय अवमान कानून में वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भी संरक्षित किया गया हैं, जिसके जरिए न्यायालय की सद्भावनापूर्ण आलोचना की जा सकती हैं और अखबार में प्रकाशित भी की जा सकती हैं लेकिन यह साबित करने का एक विषय बन सकती हैं। इसलिए न्यायालय अवमान कानून विधिक पत्रकारिता के लिए बाधक नहीं हैं बल्कि विधि स्नातक पत्रकार के लिए एक प्रतिरक्षा हैं।
माननीय मुख्य मंत्रीजी हम तो केवल सुझाव दे सकते हैं अगर आप उचित समझे तो विधिक पत्रकारिता और न्यायालयीन पत्रकारिता का लाभ जनता तक पहुंचाने की दिशा में उचित कदम उठाने की तत्काल घोषणा कर अन्य राज्यों के समक्ष उदाहरण पेश करें।
बैतूल भारत सेन(अधिवक्ता एवं पत्रकार)
दिनांक 13 जुलाई 2013 भवदीय
जिला न्यायालय, बैतूल
8989171913
written by manish srivastava, May 16, 2013
Manish Srivastava
bureau chief
nishpaksh pratidin lucknow
www.nishpakshpratidin.in
written by mohd aslam khan, May 08, 2013
betiyn ne sar dabaya deer tak
gungunata ja raha tha ek fakir
dhop rahti hai na saya deer tak
mujh ko rula kar hans na paya deer tak
aur mae rokar phir muskuraya deer tak
written by mohd aslam khan, May 08, 2013
betiyon ne sar dabaya deer tak
gungunata ja raha tha ek fakir
dhop rahti hai na saya deer tak
written by harikesh kumar, April 26, 2013
written by Nishant Sharma, March 27, 2013
written by alka singh, February 23, 2013
written by dilip srivastava, February 18, 2013
www.yuvadrishti.org
written by Swami Nandan, February 12, 2013
स्वामी नंदन
http://www.ramgarhnewslive.blogspot.com
written by सुनील यादव , January 07, 2013

written by Alok Srivastava, December 30, 2011
written by praveen patidar, November 12, 2011
http://www.youtube.com/watch?v=_a2FfiKKbkE&feature=related
written by vandana, November 10, 2011

written by pradeep srivastava, October 01, 2011
आधी आबादी पर आप के प्रयास क़ी सरहना करता हूँ.
प्रदीप श्रीवास्तव
निज़ामाबाद
आन्ध्र प्रदेश
www.apkinews.blgspot.com
pranamparyatan.blogspot.com
written by Prateek Acharya, September 09, 2011
Didn't knew there is tis kind of a website too... Hats off to u girls... Please let me know how can I contribute to this website and to this noble cause....
written by PRAVEEN SINGH CHAUHAN, July 09, 2011
i salute you for ur great efforts for women .................
INDIA will be proud of you both........
wish you luck and congratulations from my side .................
written by manu manju shukla, May 20, 2011
inqlaab........................
inqlaab.com
written by Hemant Parakh, May 15, 2011
http://www.youtube.com/watch?v=QGpr88v-LPQ
written by dr roopesh kumar, May 12, 2011
thx & love
written by Dr Mitu Khurana, March 26, 2011
written by RAVINDER JAIN231049, December 18, 2010
written by pushpendra albe, December 17, 2010
written by Abhishek sharma, December 17, 2010
Abhishek sharma